20-03-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन

‘‘सन्तुष्टता की शक्ति चेहरे और चलन में धारण कर ब्रह्मा बाप समान बनो, सदा खुश रहो और खुशी बांटों’’

आज चाहे सम्मुख चाहे दूर के सन्तुष्टमणि बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चा अपने सन्तुष्टता की शक्ति से चमकते हुए मुस्कराते मिलन मना रहे हैं। यह सन्तुष्टता की शक्ति सबसे महान है इसलिए इसमें सर्व प्राप्तियां हैं। सन्तुष्टता की शक्ति धारण करने वाली सन्तुष्टमणियां स्वयं को भी प्रिय, बाप को भी प्रिय, परिवार को भी प्रिय हैं क्योंकि सन्तुष्टता जहाँ है वहाँ सर्वशक्तियां सन्तुष्टता में समाई हुई हैं। सन्तुष्टता की शक्ति का वायुमण्डल चारों ओर फैलता है। सन्तुष्टमणि वाली आत्मायें कभी भी माया से हार नहीं खा सकती, माया हार खाती है। सन्तुष्टमणि आत्मायें सर्व की दिल को अपना बना सकती हैं। सन्तुष्टमणि आत्मा चाहे माया, चाहे प्रकृति के भिन्न-भिन्न हलचल को ऐसे अनुभव करती जैसे एक कार्टून को देख रहे हैं। ऐसे हर एक बच्चा अपने को सन्तुष्टता की शक्ति में सम्पन्न समझते हैं? अपने से पूछो कि मैं सन्तुष्टमणि हूँ? कई बच्चे कहते हैं कभी-कभी रहते हैं, सदा नहीं लेकिन कभी-कभी, तो बापदादा को कभी-कभी शब्द अच्छा नहीं लगता है। बापदादा सदा हर एक बच्चे को यादप्यार देते हैं, खुशी देते हैं। तो बापदादा को यह कभी कभी शब्द अच्छा नहीं लगता, सदा खुशनुमा। तो बापदादा यही चाहते हैं कि इस कभी-कभी शब्द को क्या परिवर्तन कर सकते हो! कभी-कभी शब्द ब्राह्मणों की डिक्शनरी में ही नहीं है, सदा। तो क्या आज सभी बच्चे जो बाप के प्यारे, माया के प्रभाव से न्यारे बने हैं, तो क्या आज इस कभी कभी शब्द को समाप्त कर सकते हैं? कर सकते हैं? क्योंकि बापदादा बहुत समय से कह रहे हैं कोई भी हलचल अचानक आनी है। उसकी तैयारी के लिए अगर अभी से कभी कभी के संस्कार होंगे तो क्या सदाकाल के राज्यभाग्य के अधिकारी बन सकेंगे? ब्रह्मा बाप से सबका दिल का प्यार है। ब्रह्मा बाबा से वायदा साथ हैं, साथ चलेंगे, साथ राज्य करेंगे। यह वायदा पक्का है ना! कांध हिलाओ। पक्का है? कितना पक्का! ब्रह्मा बाप ने कभीव भी शब्द बोला! आप सबको भी सदा अमृतवेले यादप्यार दिया और सदा बाप के साथ मिलकर ज्ञान की बातें, स्नेह की बातें, उमंग-उल्हास की बातें सुनाई। तो सभी से हाथ उठवायें कि बापदादा से प्यार है तो सभी दो दो हाथ उठायेंगे। है ना! पक्का? जब प्यार है तो प्यार वाले के एक-एक शब्द से भी प्यार होता है। ब्रह्मा बाप ने कभी शिव पिता से यह नहीं कहा कि कभी-कभी होता है। सदा फॉलो फादर किया और साथ में आपको भी कराया क्योंकि ब्रह्मा बाप का बच्चों से जिगरी प्यार है इसीलिए आपका नाम भी क्या है? ब्रह्माकुमारी, शिवकुमारी नाम नहीं है। तो ब्रह्मा बाप से प्यार अर्थात् ब्रह्मा बाप का कहना और ब्रह्माकुमार कुमारी का मानना। प्यार अर्थात् न्योछावर। तो किस पर न्योछावर होंगे? उनकी आज्ञा पर। जो बोला वह किया क्योंकि ब्रह्मा बाप के साथ शिव बाप है। अकेला नहीं। बापदादा, बापदादा कहते हो ना!

तो आज बापदादा कभी-कभी शब्द को हर बच्चे के मुख से समाप्त करने चाहते हैं। तो आप सभी बच्चे बाप के साथी हो। प्यार है ना! प्यार में तो अपने आपको न्योछावर भी कर देते हैं यह तो सिर्फ शब्द को न्योछावर करना है क्योंकि बापदादा हर बच्चे को माला का विजयी रत्न बनाने चाहते हैं। तो अपने को माला का मणका समझते हो? विजयी समझते हो? कई बच्चे कहते हैं ब्राह्मणों की संख्या तो बहुत है और माला 108 की है तो 108 ही आयेंगे ना! लेकिन बापदादा अगर आप सम्पन्न बनें, विजयी बनें तो 108 की माला है यह नहीं सोचो, बापदादा बीच में लड़िया भी लगा देगा। लेकिन आप विजयी बनो। कई बच्चे सोचते हैं पता नहीं, नम्बर मिलेगा या नहीं मिलेगा। आप अगर सम्पन्न बनें तो बाप नम्बर दे ही देगा क्योंकि बाप का हर बच्चे से प्यार है। सुनाया भी था भले कोई लास्ट बच्चा है, उनसे भी बाप का प्यार है क्योंकि उस बच्चे ने चाहे स्वभाव के वश है लेकिन बाप को जानके मेरा बाबा तो कहा। दुनिया में कितने बड़े-बड़े मर्तबे वाले उन्होंने बाप को नहीं पहचाना लेकिन उसने तो पहचाना, चाहे कोई कमज़ोरी वश है लेकिन बाप को तो पहचाना। मेरा बाबा तो प्यार से कहते हैं इसलिए बाप ने पहले भी सुनाया था कि लास्ट बच्चे के ऊपर बाप का प्यार तो है ही लेकिन उसके ऊपर खास कल्याण की दृष्टि, कल्याण की वृत्ति भी है कि यह बच्चा कुछ न कुछ आगे बढ़ता रहे। तो बापदादा आज स्पष्ट सुना रहे हैं, कि आप और बातें नहीं सोचो यह कैसे होगा, यह क्या होगा, आप अपने को योग्य आत्मा बनाओ। कर्मयोगी आत्मा बनाओ। बाकी बाप हर बच्चे को ऐसा योग्य बच्चा जो बनेगा उसको सर्व प्राप्ति का वरदान भी देके आगे बढ़ायेगा, पीछे नहीं रखेगा।

तो बापदादा आज अमृतवेले चारों तरफ के चाहे देश चाहे विदेश में चक्र लगाने गये। वैसे तो बापदादा मैजारिटी चक्र लगाते ही हैं लेकिन आज जब चक्र लगाया, सुनाया था तो बापदादा चक्र लगाने जाता है तो विशेष आपके पूर्वज दादियां भी साथ में चक्र लगाने चलती हैं। तो चक्र लगाते क्या देखा? जानते तो हो आप भी। अच्छे-अच्छे संकल्प करते हैं, करके ही दिखायेंगे, बनके ही दिखायेंगे, हाथ में हाथ लेके ही चलेंगे। तो हाथ क्या है? शिव बाप को तो फरिश्ता रूप भी नहीं है तो हाथ कौन सा है? श्रीमत हाथ है। फॉरेन में फैशन है हाथ में हाथ देके चलने का। तो यहाँ हाथ है श्रीमत तो सभी हाथ में हाथ मिलाके चलने वाले हो ना! है ताकत? ब्रह्मा बाप ने देखो कदम-कदम श्रीमत पर चलके आप सभी को करके दिखाया। क्या करना है, कैसे करना है, एक्जैम्पुल है। साकार में एक्जैम्पुल है। निराकार की बात तो छोड़ो लेकिन ब्रह्मा बाप साकार में आपके साथी थे। तो जैसे ब्रह्मा बाप श्रीमत का हाथ में हाथ मिलाके फरिश्ता बन गया। ऐसे ही फॉलो फादर है ना! फॉलो फादर याद है ना! तो फॉलो क्या करना है? सारी बातें स्पष्ट करके दिखाई, ब्रह्मा बाप के चेहरे और चलन को सभी जानते हैं ना! अपनी बुद्धि द्वारा तो ब्रह्मा बाप को इमर्ज कर सकते हैं ना! जो दिनचर्या जैसे दिनचर्या ब्रह्मा बाप ने की, साकार तन में होते, साकार में भी सब अनुभव किया। ब्रह्मा बाप के चरित्र तो सब जानते ही हैं। तो फॉलो फादर। आपको पक्का करने के लिए ब्रह्मा बाप के हर कदम रिवाइज भी किये हैं। 8 कदम पढ़ते हो ना, क्याक्या किया! बस उसको फॉलो करना है। फॉलो करना अर्थात् ब्रह्मा बाप समान बनना। तो सोचो बाप से प्यार है, दोनों बाप से प्यार है। प्यार माना पहले भी सुनाया तो प्यार का प्रैक्टिकल रूप है ब्रह्मा बाप का करना और कहना और बच्चों को बाप समान करना, यह है सच्चा दिल का प्यार। कई बच्चे क्या करते हैं? ब्रह्मा बाप समान करना है, यह सोचते हैं लेकिन पहले करके पीछे सोचते हैं, ब्रह्मा बाप समान तो किया नहीं। लेकिन कर तो लिया। लेकिन फॉलो करना है तो पहले सोचो, संकल्प करने के पहले सोचो क्या यह संकल्प ब्रह्मा बाप का है! अगर है तो प्रैक्टिकल करो। करके पीछे नहीं सोचो। लेकिन पहले सोचके फिर फॉलो करो। ब्रह्मा बाप को फॉलो करना अर्थात् ब्रह्मा बाप समान बनना। हिम्मत है? फॉलो करने की हिम्मत है? जो समझते हैं करना ही है, वह हाथ उठाओ। पहले सोचना फिर करना। करके नहीं सोचना।

तो आज बापदादा विशेष सन्तुष्टता की शक्ति हर एक बच्चे में ब्रह्मा बाप समान देखने चाहते हैं। इस एक सन्तुष्टता की शक्ति में सब शक्तियां आ जायेंगी। तो आज बापदादा का विशेष वरदान है सन्तुष्टता के शक्ति भव! कुछ भी हो अपनी सन्तुष्टता को कभी नहीं छोड़ना। कई बच्चे कहते हैं, रूहरिहान करते हैं ना! तो कहते हैं सन्तुष्ट बनना सहज है, लेकिन सन्तुष्ट बनाना बहुत मुश्किल है। आप स्वयं कोई कुछ भी करता है, करता है तो आप समझते भी हो यह ठीक नहीं है फिर दिल में क्या रखते हो? यह ऐसा करता, यह ऐसा करता है, इसका स्वभाव ऐसा है, इसका ऐसा है। दिल में नहीं रखो क्योंकि आपने दिल में बाप को बिठाया है। बिठाया है ना? कांध हिलाओ। बिठाया है पक्का? कि निकालते भी हो बिठाते भी हो? अगर बिठाया है तो दिल में बात रखेंगे, तो बाप के साथ दिल में बात भी रखेंगे। तो दिल में नहीं रखो। बापदादा ने यह युक्ति भी पहले ही सुनाई है कि सदा ऐसी आत्मा के प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखकर अपनी शुभ कामना को कार्य में लगाओ और वैसे भी देखो आप समझते हो यह अच्छा नहीं करती, तो खराब चीज़ है। तो अगर कोई आपको खराब चीज़ देवे तो आप लेंगे? तो जब खराब समझते हो तो बुद्धि में रखना, दिल में रखना तो खराब चीज़ लिया क्यों? ऐसे अपनी दिल में सदा बाप को रखते हुए बाप समान बन जायेंगे। यह तो वायदा है ना, बाप समान बनना है ना! बनना है पक्का? कि पता नहीं बनेंगे या नहीं बनेंगे? यह तो नहीं सोचते? प्यार माना फॉलो फादर। तो बापदादा अभी एक-एक बच्चे को शुभ कामना, शुभ भावना सम्पन्न आत्मा देखने चाहते हैं।

टीचर्स बनेंगी? टीचर्स से बापदादा का विशेष प्यार है। क्यों प्यार है? क्योंकि बाप की गद्दी पर बैठने की हिम्मत रखी है। तो टीचर्स में हिम्मत है ना! हर एक टीचर से बाप यह चाहता है कि हर एक के फीचर से फ्युचर दिखाई दे। निमित्त टीचर्स को बापदादा कह रहे हैं लेकिन आप भी साथी हो ना! बापदादा ने 75 वर्ष पहले छोटे-छोटे बच्चों को बो\डग में यही शिक्षा दी, खुशनुमा और खुशकिस्मत, हर एक का चेहरा ऐसे हो। तो अभी भी बापदादा यही चाहता है हर एक बच्चा शक्ल से दिखाई दे कि यह खुशनुमा और खुशकिस्मत वाली आत्मा है। वाणी द्वारा सेवा बहुत की और अच्छी की उसका सर्टीफिकेट तो है लेकिन अभी अपने चेहरे और चलन से सेवा में आगे बढ़ो। जैसे कोई गरीब होता है उसको लाटरी मिल गई तो उसका चेहरा और चलन बोलता है ना! उसका चेहरा देख करके सब अनुभव करते हैं आज इसको कुछ मिला है। ऐसे ही आपकी चलन और चेहरे से मान जाएं कि इन्हों को कुछ विशेष प्राप्ति है।

तो आज बापदादा क्या चाहता है? ब्रह्मा बाप समान बनो। फॉलो फादर क्योंकि समय की हालतें तो हलचल में आ भी रही हैं और आनी भी हैं इसलिए बापदादा हर बच्चे को यही शिक्षा देने चाहते हैं वि्ा सदा खुश रहो और खुशी बांटो। जितनी खुशी बांटेंगे उतनी खुशी बढ़ेगी। आपको खुशनुमा देख दूसरे भी 5 मिनट के लिए तो खुश होवे। दु:खी आत्मायें अगर आपको देख करके 5 मिनट भी खुश हो जाएं तो उन्हों के लिए तो बहुत दिलपसन्द बात है। तो आज बापदादा विशेष सन्तुष्टता की शक्ति हर एक बच्चे को चलन और चेहरे से धारण कर और अन्य को भी कराने का विशेष ध्यान खिंचवा रहे हैं। अच्छा।

सभी आज जो पहली बार आये हैं वह उठो। देखो, आपको दिखाई दे रहा है। आधा क्लास पहले बारी के हैं। हाथ उठाओ। देखो सभी के हाथ देखो। आपके नये-नये भाई बहिन कितने आपके साथी बने हैं। मुबारक हो, बहुत-बहुत मुबारक हो। अभी जैसे यहाँ तक पहुंचे हो ना! बापदादा से मिलने तक पहुंचे हो, आगे क्या करना है? फॉलो फादर ब्रह्मा बाप। बापदादा को भी आप बच्चों को देख करके खुशी होती वाह! बच्चा आ गया! सारे परिवार को भी खुशी होती है हमारे भाई बहन आ गये, आ गये, आ गये। अभी फॉलो ब्रह्मा बाप। कभी भी कुछ भी होवे, कोई क्वेश्चन हो या कोई प्राब्लम हो, प्राब्लम की तो दुनिया ही है। तो फौरन अपनी टीचर द्वारा उसका हल करा देना। दो दिन हो गया है, ऐसा है, यह नहीं करना क्योंकि बहुत पीछे आये हो ना और जाना तो आगे चाहते हो ना! पीछे रहना चाहते हो? नहीं। आगे जाने चाहते हो तो आगे जाने की यही एक बात करना, दिल में कोई भी व्यर्थ बात नहीं रखना। इसके लिए अपना अमृतवेले बाप से मिलने के बाद, एक तो अमृतवेला जरूर करना और उसके बाद अपने सारे दिन की दिनचर्या जिसमें मन बिजी रहे, कोई न कोई ड्रिल, अनेक ड्रिल बापदादा ने सुनाई है, लेकिन कोई न कोई ड्रिल साथ-साथ करते रहना। बापदादा सभी के लिए कहते हैं कि बीच-बीच में समय निकाल के चाहे पुराने, चाहे नये सभी को एकदम अशरीरी बनने की ड्रिल जरूर करना है क्योंकि आने वाले समय में सेकण्ड में अशरीरी बनना ही पड़ेगा। तो यह ड्रिल कोई कहे समय नहीं मिला, कितना भी कोई बिजी हो, पानी की प्यास लगती है तो क्या पानी पीने नहीं उठेंगे। जरूरी समझके उठेंगे ना। तो यह एक मिनट अशरीरी बनने की ड्रिल यह प्रैक्टिस जरूर करो। उस समय प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। कई समझते हैं ना, समय आयेगा कर लेंगे। लेकिन नहीं। यह जन्म-जन्म का बॉडीकान्सेस का अभ्यास उस समय अशरीरी बनने नहीं देगा इसलिए अभी से कोई भी समय निकाल सारे दिन में समय प्रति समय जो भी समय निश्चित करो एक सेकण्ड में अशरीरी आत्मा हूँ, आत्मा स्वरूप में स्थित हो जाए। बॉडी कान्सेस अपने तरफ खीचें नहीं। यह अभ्यास सभी को करना है। चाहे पुराने चाहे नये क्योंकि बापदादा ने कुछ समय से यह बात कही है। लेकिन करना जरूरी है। नहीं तो श्रीमत का हाथ में हाथ देकरके नहीं चल सकेंगे। आपका वायदा है साथ चलेंगे, साथ राज्य में आयेंगे। तो यह ड्रिल सभी को करना है। बाकी नये जो भी आये हैं, खुश रहो आबाद रहो, आगे से आगे बढ़ते रहो। अच्छा।

सेवा का टर्न महाराष्ट्र, आन्ध्र और मुम्बई का है:- अच्छा। इस ज़ोन की भी संख्या बहुत है। नाम है महाराष्ट्र। तो महा होंगे ना! तो जैसे नाम है वैसे ही संख्या भी महान है। बापदादा का बाम्बे और दिल्ली दोनों तरफ एक बात का उमंग उत्साह है। सर्विस तो करते हो, वह तो कहने की बात नहीं है। अच्छी कर रहे हैं, करते रहेंगे लेकिन बापदादा देहली और बाम्बे से यही चाहते हैं कि जो आपके सम्बन्ध सम्पर्क में आये हुए विशेष आत्मायें जो माइक भी बन सकते हैं और फिर वारिस भी बन सकते हैं, ऐसे कोई ग्रुप निकालो क्योंकि लिस्ट सभी वर्गो ने मैजारिटी बापदादा को भेजी थी। देखी है वह लिस्ट। अच्छे अच्छे हैं लिस्ट में जो नाम बाला कर सकते हैं। अभी उनको प्रत्यक्ष करो। आपके बजाए वह भाषण करें। अनुभव सुनायें आपका, ज्ञान क्या है, हमने जीवन में क्या अन्तर किया है, वह वर्णन करें। जब फंक्शन होता है, अभी भी तो अपना अनुभव कई अच्छे-अच्छे सुनाते भी हैं लेकिन वह तो फंक्शन में सुनाया, लेकिन लगातार जीवन का अनुभव करें। यह अटेन्शन देंगे तो निकलने वाले हैं क्योंकि बापदादा ने लिस्ट जो देखी सभी की उसमें ऐसे योग्य हैं लेकिन थोड़ा पुरूषार्थ करके उन्हों को आगे बढ़ाओ। हर एक वर्ग को वास्तव में यह लिस्ट प्रत्यक्ष रूप में परिवार और बाप के सामने लानी चाहिए। कार्य किया है वर्गो ने। बापदादा ने देखा कार्य किया है लेकिन बहुत समय से कर रहे हैं अभी कोई नवीनता लाओ। नवीनता यह है वारिस बनाओ। कम से कम जो सम्पर्क वाले हैं वह सम्बन्ध में आवे, सम्बन्ध के बाद सेवा में लगे। सम्बन्ध यह नहीं, आने जाने का संबंध नहीं लेकिन बाप और परिवार के साथी बन जाएं। यह भी होना है, अभी बापदादा ने देखा कि ब्राह्मण मिलके कोई भी एक संकल्प करें तो हुआ ही पड़ा है लेकिन सबका एक ही संकल्प हो तो क्योंकि अभी वायुमण्डल बदल गया है। जब से आपने यह 75 वर्ष का मनाया है तब से लोगों को समझ में आया है कि यह कुछ कर रहे हैं और जो कहते हैं वह अच्छा कहते हैं, कर सकते हैं। अभी इतने तक चेंज आई है इसलिए अभी आप भी चेंज देख करके और थोड़ी मेहनत करेंगे तो आपका परिवार कितना बढ़ जायेगा। तो बापदादा ऐसों का कहाँ भी संगठन कराना चाहते हैं। मधुबन में मिलने आते हैं वह बात अलग है लेकिन परिवार के बनके आवे क्योंकि सर्विस में कोई न कोई नवीनता तो चाहिए ना! अच्छा। बापदादा खुश है क्योंकि यह उठे हैं ना तो बापदादा देख करके खुश है। बाकी बापदादा की एक आशा रह गई है और भी। ज़ोन वालों के प्रति। वह कौन सी है? हर सेन्टर यह खुशखबरी लिखे कि हमारा सेन्टर निर्विघ्न है। मिलनसार है। सब बाबा के बच्चे एक्यूरेट, जो कार्यक्रम बना हुआ है उस तरफ बिजी हैं। निर्विघ्न हैं। यह अभी किसी ज़ोन का नहीं आया है। तो महाराष्ट्र तो महान कार्य करेंगे ना! किसी भी ज़ोन ने अभी यह खुशखबरी नहीं भेजी है। बनना है, बनना तो आपको ही है और कौन बनेंगे! आपकी तपस्या कम नहीं है। चाहे टीचर है, चाहे स्टूडेन्ट हैं दुनिया के हिसाब से हर एक महान आत्मायें हैं। अभी-अभी देखना आपको यह निर्विघ्न का थोड़ा सा करो तो सभी आपको जैसे आपके जड़ चित्र में शुभ भावना से देखते हैं, ऐसे आपको चैतन्य रूप में देवियों के रूप में, देवताओं के रूप में देखेंगे। बाकी सेवा सभी ने अच्छी की है। उसकी बापदादा मुबारक दे रहे हैं।

यह निज़ार उठो। (बापदादा ने निज़ार भाई को उठाया)

बापदादा ने समाचार सुना तो जो आपकी रूपरेखा बनी हुई है, ऐसे ही अच्छा है और आगे भी अच्छा बनता जायेगा इसलिए आगे बढ़ते चलो। बापदादा ने समाचार सुने हैं।

आई.टी. ग्रुप:- चित्र और बोर्ड भी अच्छा बनाते हैं। बापदादा ने पहले भी सुना दिया है, बापदादा ने देखा हर एक वर्ग कुछ न कुछ नवीनता भी कर रहे हैं और अभी हर वर्ग में आवाज भी बाहर फैला है, जैसे डाक्टरों की सर्विस में, मेडीकल में अभी हार्ट के इलाज का आफीशियल डाला है, तो यह जो आफीशियल बुक में डाला है यह बापदादा ने देखा, तो वह एडवरटाइज के लिए अच्छा है। ऐसे ही और भी ज़ोन वालों ने अच्छे अच्छे निमित्त बने हुए जो आवाज फैला सकते हैं उनसे कनेक्शन रखा है और उसकी रिजल्ट भी है। तो बापदादा हर वर्ग वालों को यही कहते हैं तो जैसे अभी आगे बढ़े हो ऐसे और भी आगे बढ़ते जायेंगे तो सबकी नज़र आपके ऊपर जायेगी। धीरे-धीरे विश्व में प्रसिद्ध होते जायेंगे इसलिए बापदादा इस वर्ग को भी मुबारक दे रहे हैं। सभी पुरूषार्थ अच्छा कर रहे हैं और पुरूषार्थ के साथ बापदादा आप सबके साथ है। अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनें:- डबल विदेशी, डबल से डबल होते जाते हैं। बापदादा ने देखा कि स्व के ऊपर, स्वमान के ऊपर और अपने वृत्ति के ऊपर अटेन्शन अच्छा दे भी रहे हैं और दिला भी रहे हैं। यज्ञ स्नेही का पार्ट भी, यज्ञ सहयोगी का पार्ट भी अच्छा बजा रहे हैं इसलिए बापदादा डबल विदेशियों को अनेक बार की मुबारक दे रहे हैं। बापदादा आप लोगों की कहानियां सुनते रहते हैं। सिर्फ स्नेही नहीं हैं लेकिन स्नेही के साथ सहयोगी, हर कार्य में बनते हैं और अपना भविष्य जमा करने में होशियार हैं इसलिए देखो कितने देशों के आ गये हैं। बापदादा यह संगठन देख स्नेही सहयोगी हर कार्य में हाथ बढ़ाने वाला ग्रुप देख करके खुश हो रहे हैं। खुश है, आप भी खुश बाप भी खुश और परिवार भी खुश। मधुबन वाले तो कहते ही हैं कि डबल विदेशी मधुबन का श्रृंगार हैं और बाप का विश्व कल्याणी नाम विदेश ने सिद्ध किया है इसलिए सभी तीव्र पुरूषार्थी बनके रहना। पुरूषार्थी नहीं तीव्र पुरूषार्थी क्योंकि अभी समय है, सभी के लिए तीव्र पुरूषार्थी बनने का। पुरूषार्थ का समय अभी गया, अभी तीव्र पुरूषार्थ का समय है। तो कभी भी साधारण पुरूषार्थी नहीं बनना। सदा चेक करना, तीव्रता है? साधारण तो नहीं हो गया! वैसे अभी समय भी सूचना दे रहा है - तीव्र पुरूषार्थी बनने का। तो बापदादा खुश है, परिवार भी खुश है और सबको मुबारक दे रहे हैं। खुशी है बाप को। कितने देशों से देखो इकठ्ठे हुए हैं। अच्छा।

चारों ओर के दूर बैठे दिल में समाने वाले बच्चों को बापदादा भी देख रहे हैं। सभी के प्यार की खुशबू मधुबन में पहुंच रही है। तो सभी अभी तीव्रगति से चलना है, तीव्र पुरूषार्थ करना है, तीव्रता दुनिया के लोगों में सुख की लानी है। दु:खी को सुखी करना है। यह सुखी करने का सन्देश दे करके सभी को सुखी बनाना है, इस सेवा में तीव्रता है भी और लानी भी है। अच्छा। सबको दिल का बहुत-बहुत यादप्यार स्वीकार हो।

मोहिनी बहन से:- ऐसे ही एमर्जेन्सी में तीव्र पुरूषार्थ करना। ऐसा तीव्र पुरूषार्थ करो जो सब देख करके चक्रित हो जाएं वाह इसने तो कमाल कर दी। पहले से ही चेक कराते रहो। छोड़ देती हो ना, चेकिंग बीच-बीच में कराती रहो तो क्या है, होने के पहले ही दवाई हो जायेगी। समझो हर 15 दिन या मास में कराना ही है चेकिंग। फिर ठीक रहेंगी। बहुत अच्छा।

नीलू बहन से:- सहज है ना यात्रा। मुश्किल तो नहीं है। (पास हो गई) पास ही रहना। (गुल्जार दादी ने मोहिनी बहन और नीलू बहन दोनों को बहुत अच्छी सकाश दी) सभी ने दी। मधुबन को कोई भूल नहीं सकता है। मधुबन तो सभी के रग रग में समाया हुआ है। अच्छा।

दादी जानकी से:- लण्डन तो जा रही हो ना, अगर तबियत चलने लायक हो जाए तो जाना, नहीं तो नहीं जाना। (अमेरिका वाले बहुत तैयारी कर रहे हैं) तैयारियाँ क्या भी करें, आप चला सकती हो तो चलाना। आप अपनी तबियत को देख चल सकती हो तो चलाओ।

तीनों वरिष्ठ भाईयों से:- बापदादा ने आपकी मीटिंग का समाचार सुना। तो जो सोचा है वह अच्छा सोचा है और उसी अनुसार करते चलो। मदद मिल भी जायेगी। थोड़ा फैलायेंगे ना तो मदद देने वाले भी आ जायेंगे। बाकी जैसे सोचा है वैसे ठीक है। (युनिवार्सिटी के बारे में रमेश भाई ने पूछा)

बापदादा समझते हैं पहले भिन्न-भिन्न युनिवार्सिटी में सेवा करो। जैसे एक युनिवार्सिटी में कनेक्शन किया है ना ऐसे और युनिवार्सिटी में पहले सेवा करो। उन्हों की सेवा करके साथी बनाओ। अभी कितनी युनिवार्सिटी रही हुई हैं, पहले उनकी सेवा करो, पीछे आपेही आपको आफर करेंगे, कहेंगे आपको इतना खर्चा करने की जरूरत नहीं है। जैसे एक युनिवार्सिटी में किया है तो उससे प्रसिद्ध तो हुआ है ना। ऐसे 10-12 युनिवार्सिटी जो बड़ीज्ञ्बड़ी हैं उसको अपनाकर देखो। तो वही आपको युनिवार्सिटी बनाकर देंगे, आपको खर्चा करने की जरूरत नहीं है। बापदादा खुश है ऐसे मिलते रहो और फाइनल करते रहो।

(चण्डीगढ़ में प्लैटिनम जुबली का कार्यक्रम बहुत अच्छा हुआ, पुरी में होने वाला है) सभी जगह में अपने अपने विधि प्रमाण खुशी से और खुली दिल से किया है। सब तरफ की रिजल्ट अच्छी है।

भ्राता रामनारायण मीणा, उपाध्यक्ष - राजस्थान विधानसभा

अभी ब्राह्मण कुल में विशेष पार्ट बजाओ। (आपके बच्चे हैं) सबसे अच्छा बच्चे बालक सो मालिक हो। बालक सदा मालिक होता है। अमृतवेले उठके जितने बजे भी उठ सको तो अमृतवेले बाप को याद करके रोज़ बाप से आशीर्वाद लो। बाप से आशीर्वाद मिलेगी जिससे खुश भी रहेंगे, निर्विघ्न भी रहेंगे। सब ठीक हो जायेंगे। आपमें शक्ति भरेगी तो उन्हों में भी शक्ति भरेगी। हो जायेगा सिर्फ यह थोड़ा उठके बाप को याद करके शक्ति लेते रहो। मेरा बाबा कहना और शक्ति लेना।

मधुबन देखा, परिवार देखा अच्छा लगता है ना। अभी इसी परिवार में जितना नजदीक आयेंगे ना उतना लाभ मिलता जायेगा।

सुरेश ओबेराय:- जैसे सर्विस उठाई है ना वैसे करते चलो।

शिवानी बहन से:- वरदानी है। बाप से वरदान अच्छा मिला है।